गुलाब दिवस तू, रोज़ रोज़ क्यों नहीं आता
तू दुनिया को खुश रहना, क्यों नहीं सिखाता
खुद तो कांटों में रह कर भी मुस्कराता है,
पर लोगों को अपना जैसा, क्यों नहीं बनाता
तुझे बस प्यार की निशानी समझते हैं लोग,
पर कैसे जीता है तू, समझ क्यों नहीं आता
क्यों न कभी गुलाब सी ज़िंदगी जियो यारो,
खुद सोचोगे कि तुम्हें, रोना क्यों नहीं आता...