प्यार कोई दीया नहीं,  जब चाहा जला दिया बुझा दिया,
ये बालू का महल नहीं,  जब चाहा बना लिया मिटा दिया !
ये रस है जो दिल की गहराइयों से लिकलता है,
ये बच्चों का खेल नहीं, जिसे चाहा हरा दिया जिता दिया !
 

Leave a Comment