किसी को अपनों में, खुशहालियाँ नज़र नहीं आतीं,
तो किसी को गैरों की, बदहालियाँ नज़र नहीं आतीं !
सब को औरों में हज़ार कमियां तो दिखती हैं दोस्तो,
मगर ख़ुद में किसी को, मदमाशियां नज़र नहीं आतीं !
करते हैं दिखावा प्यार का जो दिल में खोट रख कर,
कभी उनके चेहरे पर, वो रमानियाँ नज़र नहीं आतीं !
अरे अब तो ईमान की बातें लिखना छोड़ दो दोस्त ,
अब कहीं भी ईमान की, निशानियां नज़र नहीं आतीं !

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