चाँदनी रात है फिर भी, अमावस नज़र आती है
मंद पवन की चाल भी, तूफान नज़र आती है
खुदा का इंसाफ देख कर दिल उदास है मेरा,
फूल खिले हैं पर उनमें भी, उदासी नज़र आती है
एक फूल जो कल तक महका था जिस डाली पर,
आज वो उसकी याद में, रोती सी नज़र आती है
कहीं खुशी की बयार बहती नहीं दिखती या खुदा,
जिधर देखता हूँ बस, पीड़ा ही पीड़ा नज़र आती है

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