हमें अंधेरों ने इस कदर घेरा कि
उजालों की पहचान ही खो गयी
तक़दीर ने हमें इस कदर मारा कि
अपनों की पहचान ही खो गयी
कोशिशों का हमनें कभी दामन न छोड़ा
पर लगता है हमारी किस्मत ही सो गयी

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