कभी नफरतों में तुम, प्यार ढूंढो तो बात बने ,
कभी खामोशियों का, राज़ ढूंढो तो बात बने !
जो न कहता है दर्द अपने ज़माने में किसी से,
कभी तो उसके भी, अज़ाब ढूंढो तो बात बने !
इस #ज़िंदगी के सफर में मिलते हैं लाचार भी,
कभी उनके भी तुम, हालात ढूंढो तो बात बने !
क्यों कर ढूंढते हैं हम कमियां ही हर किसी में,
कभी तो अच्छाई भी, एकाध ढूंढो तो बात बने !
घुटता है बहुत कुछ इंसान के दिल में भी दोस्त,
कभी उसके भी तुम, ज़ज़्बात ढूंढो तो बात बने !