#धीरज से संभालिये, तो गुत्थी खुद सुलझ जायेगी,
वरना तो हड़बड़ी में ये, और ज्यादा उलझ जायेगी !
भरोसे की नींव पर टिकी होती है #रिश्ते की दीवार,
अगर खिसकेगी इक ईंट भी, फिर न संभल पायेगी !
ग़लतफ़हमियों को ज़िगर में सजाना छोड़ दो यारो,
वर्ना ग़मों से लवरेज़ उम्र, बस यूं ही निकल जाएगी !
बिखरते देखे हैं कितने ही #रिश्ते मैंने इसी सबब से,
न समझोगे बात इतनी, तो हाथों से फिसल जाएगी !
बेहतर है कि मिल बैठ कर सुलझा लो शिकवे,
वरना तो वर्षों की #मोहब्बत, नफ़रत में बदल जाएगी !