न जाने मोहब्बत का कैसा ये सरूर होता है,
वो उतना ही पास होता है जितना दूर होता है
सब जानते हैं कि कांटे भरे हैं इसकी राहों में,
पर इस पे चलना हर किसी को मंज़ूर होता है
बराबर हैं अमीर या गरीब निगाहों में इसकी
कभी न कभी हर कोई शिकार ज़रूर होता है
वो रोता है जो हारा है #मोहब्बत के खेल में,
पर रोता वो भी है जिसे जीतने का गरूर होता है !!!

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