मेरी #मोहब्बत का तुम, कुछ तो हिसाब दे दो !
कब से खड़ा हूँ दर पर, कुछ तो जवाब दे दो !
तुम्हारे सितम का हर हिसाब साथ लाया हूँ,
गर हैं तुम्हारे पास तो, कुछ और अज़ाब दे दो !
पागल था कि #ज़िंदगी भर लुटता रहा मैं यूं ही,
न दे सको गर सारा, मेरा कुछ तो उधार दे दो !
कर दूंगा मैं ज़िन्दगी तुम्हारी नफ़रतों के नाम,
मगर वापस मेरे नाम के, कुछ तो ख्वाब दे दो !
#दिल तो पड़ा है तुम्हारे ही पास गिरवी मेरे दोस्त,
कैसे जाऊं हाथ खाली, मुझे कुछ तो ज़नाब दे दो !!!