सब कुछ लुटा कर, कुछ मिला तो क्या मिला,
अरे इज़्ज़त गवां कर, कुछ मिला तो क्या मिला !
सारी #ज़िन्दगी तो गुज़ार दी बेचारगी में हमने,
अपनी मौत पा कर, कुछ मिला तो क्या मिला !
शराफत की ज़िन्दगी न जीने दी किसी ने भी,
यारो आँखें दिखा कर, कुछ मिला तो क्या मिला !
देखा है बड़े गौर से ईमान ओ करम अपनों का,
गैरों से रिश्ते जोड़ कर, कुछ मिला तो क्या मिला !!!

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