मौत से क्यों डरते हैं हम, उसे तो आना ज़रूर है
क़फन तो अखिरी चोला है, उसको बदलना ज़रूर है
इस रुखसती को देख कर क्यों ग़मगीन हो दोस्त,
आज किसी का कल किसी का, जनाज़ा उठना ज़रूर है
किसी को शमशान पहुंचा कर क्यों रोते हैं लोग,
जबकि हर किसी को एक दिन, वहां जाना ज़रूर है
दुनिया के राग रंग में यूंही डूब जाते हैं लोग,
जबकि यहाँ से सब कुछ छोड़ कर, जाना ज़रूर है...
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