मैं सवालों जवाबों से तंग आ गया हूँ
जज़्बात की चुभन से तंग आ गया हूँ
ज़िन्दगी के फ़साने छोड़ आया हूँ पीछे
मैं ज़माने के कुढंगों से तंग आ गया हूँ
आखिर खुशियों की रंगोली कैसे सजाऊँ
मैं मिलावट के रंगों से तंग आ गया हूँ
कुछ सच्चा नहीं सब दिखावा है दोस्तो
इस फरेबों की दुनिया से तंग आ गया हूँ
खून के रिश्ते भी हैं अपने सफर में मगन
मैं अकेला इन खिज़ाओं से तंग आ गया हूँ
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