ढूंढते हैं बहुत मगर, कोई काबिल नहीं मिलता
पत्थर मिलते हैं बहुत, मगर दिल नहीं मिलता
कश्तियाँ तो बहुत हैं इस #मोहब्बत के दरिया में,
पर भंवर में फंस कर, कभी साहिल नहीं मिलता
इस बुतों की दुनिया में ज़ज़्बात की कीमत नहीं,
हो जाता है खूने #दिल, मगर क़ातिल नहीं मिलता
अब नामुमकिन है पहचानना इंसान को,
है चेहरे पर मुस्कान, मगर हाले दिल नहीं मिलता...