शहर की चका चोंध में, सब कुछ भुला दिया हमने
मिट्टी का वो घर, वो आँगन, सब भुला दिया हमने
मां की सुनाई लोरियां भी हमें याद नहीं अब,
इस शहर के शोर में, मां का प्यार भुला दिया हमने
शहर की चका चोंध में, सब कुछ भुला दिया हमने
मिट्टी का वो घर, वो आँगन, सब भुला दिया हमने
मां की सुनाई लोरियां भी हमें याद नहीं अब,
इस शहर के शोर में, मां का प्यार भुला दिया हमने