अपने दर्दे दिल से अब सिहरने लगा हूँ मैं
खुद की ही खोदी कब्र में गिरने लगा हूँ मैं
बहुत ख्वाब देखे सब को अपना बनाने के
पर लोगों की हक़ीक़त समझने लगा हूँ मैं
अपनों की बेरुखी अब संभलती नहीं यारो
अब तो मोहब्बतों से भी सहमने लगा हूँ मैं
दिली ख्वाहिशे तो मर चुकी है अब दोस्तो
अब चाहतों की गलियों से बचने लगा हूँ मैं
जिसने भी चाहा सिर्फ मतलब के लिए,
अब लोगों की असलियत परखने लगा हूँ मैं

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