जाने क्यूँ #लोग ये #एहसास दिलाते है,
हूँ मैं #अजनबी फिर क्यूँ #दिल को दुखाते है !!!
निभाते है #दोस्ती #वादे कुछ इस तरह कि,
#वक्त बाद कुछ वो हमको #भूल जाते है...
फिर यूँ आते है #याद उनको हम,
जब #लोग उनके #दिल को दुखाते है...
कहते है कि लिखते हो #अज़ब सच तुम #शायरियों में,
फिर #तन्हाँ होकर अपनी #दास्ताँ सुनाते है...
फिर कुछ #वक्त बाद वो इसी #दांस्ताँ को #दोहराते है...