दिल के ज़र्रे ज़र्रे पे, आंसुओं से इबारत लिखी है हमने
यादों के कोरे कागज़ पे, हर शिकायत लिखी है हमने
पत्थरों के मकानों में लोग भी पत्थर दिल हैं "मिश्र",
इस दुनिया ने निभायी कैसे, वो अदावत लिखी है हमने
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दिल के ज़र्रे ज़र्रे पे, आंसुओं से इबारत लिखी है हमने
यादों के कोरे कागज़ पे, हर शिकायत लिखी है हमने
पत्थरों के मकानों में लोग भी पत्थर दिल हैं "मिश्र",
इस दुनिया ने निभायी कैसे, वो अदावत लिखी है हमने