गुज़रती है जिनके ज़िगर पर आँखों से नहीं रोते
वो घुट घुट कर मरते हैं और दिन रात नहीं सोते
ज़माने में जो देखा है वो बिल्कुल सच है दोस्तों
कि जो कभी अपनों के न हुए वो गैरों के नहीं होते
कभी बेवजह बिखर जाते हैं प्यारे से अटूट रिश्ते
बाद कितनी भी कोशिशों के वो जीवित नहीं होते
जो आज है पास हमारे हमेशा नहीं रहता,
गुज़र जाते हैं जो लम्हें वो कभी वापस नहीं होते

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