मूर्ख थे हम कि उसको, अपना समझ लिया हमने
उसकी हर चीज़ पर, अपना हक़ समझ लिया हमने
जिसको पाने के लिये सब कुछ लुटा दिया हमने
अफ़सोस उसके दीदार का, हक़ भी गवां दिया हमने
कर दिया बंद दरवाज़ा क्यों हमारे लिये उसने,
कोई तो बताये हमको, क्या गुनाह कर दिया हमने...

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