मत खोइए सिर्फ ख़्वाबों में, कुछ कर के तो देखिये
यारो मुकद्दर की बात छोडो, कुछ हट के तो देखिये
किनारे पे खड़े हो कर तो दिखती हैं सिर्फ लहरें ही,
पाना है अगर सागर से, तो उसमें उतर के तो देखिये
आखिर जमाने से डर कर तुम जाओगे किधर दोस्त,
गर बदला है जमाना, तो खुद को बदल के तो देखिये
फैला है दुनिया में मुफलिसी का आलम हर जगह पे,
किसी मजलूम के दर्दों को, ज़रा समझ के तो देखिये
दुनिया इतनी ही नहीं जितनी कि तुम्हें दिखती है,
समझना है अगर इसको, तो आगे बढ़ के तो देखिये
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