गर मंज़िल पास लानी है, तो ख्वाहिशें कम कर दो,
चाहत है अगर खुशियों की, तो रंजिशें कम कर दो !
अब दिखता है हर तरफ फिरकापरस्ती का आलम,
अगर जीना है तुम्हें चैन से, तो साजिशें कम कर दो !
ये सब दौलतें ये सौहरतें तो रहमत है बस खुदा की,
गर चाहो मोहब्बत सब की, तो नुमाइशें कम कर दो !
हर किसी को हक़ है कि जीए ज़िन्दगी अपनी तरह,
बचाये रखनी है अगर इज़्ज़त, तो बंदिशें कम कर दो !
सुकूँ हरगिज़ नहीं मिलता किसी को सताने से "मिश्र",
पानी है दोस्ती की दौलत, तो आजमाइशें कम कर दो !