न तो ग़मों का गम है, न ख़ुशी की ख़ुशी हमको !
भट्टी में पका चुकी है खूब, ये ज़िन्दगी हमको !
या ख़ुदा वो वक़्त मत लाना मुकद्दर में हमारे,
कि कभी अपने ही सबब से, हो शर्मिंदगी हमको !
इन आंसुओं की कीमत नहीं जानती ये दुनिया,
अब तो इनको देख कर ही, आती है हंसी हमको !
हर मोड़ पर तकती रहीं दुनियां की बेरहम नज़रें,
हर कदम पर बस रुलाती रही, ये ज़िन्दगी हमको !
न लो दर्द ए दिल किसी और की खातिर दोस्त,
वर्ना तो छोड़ देगी मंझधार में, ये ज़िन्दगी हमको !
You May Also Like





