मूर्ख है दीपक, जो खुद को जलाता है जमाने के लिये
खुद को मिटा देता है, औरों का अंधेरा मिटाने के लिये
उसकी शहादत को भला ख़ुदगर्ज़ जमाना क्या समझे,
यहाँ तो हाथ बढ़ाते हैं सब, अपना मुक़ाम पाने के लिये...
You May Also Like






मूर्ख है दीपक, जो खुद को जलाता है जमाने के लिये
खुद को मिटा देता है, औरों का अंधेरा मिटाने के लिये
उसकी शहादत को भला ख़ुदगर्ज़ जमाना क्या समझे,
यहाँ तो हाथ बढ़ाते हैं सब, अपना मुक़ाम पाने के लिये...