सुन्न हो गयी हजारों आवाजें पुकारते पुकारते
अपलक रह गयी कितनी निगाहें,निहारते निहारते
कहीं मांग का #सिन्दूर, तो कहीं #राखी का रिश्ता
कहीं सूनी गोद हुए तो कहीं #आसरा ही छूटा.
'उफ़! क्यूँ है ये मंज़र बेबसी का ', इस् से क्या होगा ..
हर हाथ बड़े #सहारा बन यही है बेहतर मौका
आज #इंसान के भीतर, इंसान को जगाना होगा ,
ऐ #खुदा! तेरे इम्तेहान का दूसरा पहलू भी निभाना होगा