ख़ुदा बड़ा अज़ीब है, कैसे रिश्ते बना देता है
देखा न था जिसको कभी, अपना बना देता है
जो लगता है दिल को हमसफ़र जैसा,
उसको वो अंजान सा, मुसाफ़िर बना देता है...
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ख़ुदा बड़ा अज़ीब है, कैसे रिश्ते बना देता है
देखा न था जिसको कभी, अपना बना देता है
जो लगता है दिल को हमसफ़र जैसा,
उसको वो अंजान सा, मुसाफ़िर बना देता है...