बहुत ही जूनून था, हमें लोगों पर दया करने का
खुद को मिटा कर भी, उनका ही भला करने का
समझ न पाये हम उनके #दिल में दबे लावों को,
अफसोस हो रहा है, अब खुद को फ़ना करने का
हम तो लुटाते रहे अपनों पर मोहब्बत बेशुमार,
पर क्या मिला हमको, अपना हक़ अदा करने का
या ख़ुदा न दे घमंड इतना कि आदमी बदल जाये,
और न बचे वक़्त ही, तेरा शुक्रिया अदा करने का
देखा है इन आँखों ने उन बदलते दिलों को,
जिन्हें दे दिया हक़ दौलत ने, कोई ख़ता करने का...