दिखा आज कुछ ऐसा यारों,
क्या, वो दिलकश #नज़ारा था...
मिला राह में फिर से मुझको,
एक #हमनशी का ज़नाजा था..
थे #साथ सब उसके #अपने,
ना जाने किस नाम से उसे #ऩमाजा था...
था किसी का #यार या #दिलवर,
या किसी #आँख का #सितारा था...
हुआ इन्तकाल #ज़िन्दगी का उसकी,
क्यूँकि #खुदा की #रहमत ने उसे पुकारा था...