जिस शख्स में हमदर्द तलाशती हैं मेरी नज़रें
वो ही क्यूँ दर्द बाँट जाता है ?
जिसकी राहों में पलकें बिछाता हूँ रोज़
वो ही मेरी राहों से कदम चुराता है
मुझे तो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं
फिर क्यूँ उसके लिए #गुमनाम हूँ मैं ?
तुझमे मेरी पहचान ढूंढता
मगर खुद से अनजान हूँ मैं...