अच्छा हुआ कि ख़त्म हुई, अपनी कहानी प्यार की ,
हम छोड़ आये उनके लिए, सारी रवानी बहार की !
न उठाओ फूल कब्र से, गर सूखें तो सूख जाने दो,
अब यही बची है मुझ पे बस, इक निशानी प्यार की !
सोचा था कि बिकती नहीं, उल्फत कहीं बाजार में,
पर दोस्तों ये सच नहीं, कभी सुनना जुबानी यार की !
कागज़ के चंद टुकड़ों से, बदल जाते हैं कैसे दिल,
कभी आ कर मेरे मज़ार पे, सुनना कहानी प्यार की !
यारो होते नहीं पूरे कभी भी, ज़िन्दगी के स्वप्न सारे,
बस मेरी तरह मायूस दिल, लिखता कहानी हार की !!!