मैं फूलों का नहीं कांटों का एहतराम करता हूँ
फ़ितरत है चुभने की फिर भी सलाम करता हूँ
फूलों का क्या भरोसा वो मुस्कराएं कब तक,
सो ज़िंदगी भर की चुभन का इंतज़ाम करता हूँ...
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मैं फूलों का नहीं कांटों का एहतराम करता हूँ
फ़ितरत है चुभने की फिर भी सलाम करता हूँ
फूलों का क्या भरोसा वो मुस्कराएं कब तक,
सो ज़िंदगी भर की चुभन का इंतज़ाम करता हूँ...