कभी मेरी हकीकत भी एक कहावत बन जाएगी
आवाज़ भी इन हवाओं की अमानत बन जाएगी
राख के ज़र्रे मेरी याद में भटकेंगे इधर उधर
अस्थियाँ किसी दरिया की अमानत बन जाएंगी
मेरी फोटो भी एक दिन दीवार पर लटक जायेगी
उस पर एक अदद माला भी शायद लटक जाएगी
कुछ दिनों तक फूलों की खुश्बू आती रहे शायद
पर एक दिन हर पंखुड़ी सूख कर सिमट जाएगी