यारो कैसा ये इत्तेफ़ाक़ है, ये कैसा नसीब है,
होता है वही दूर, जो होता दिल के करीब है !
#दीदार के लिए तरस जाती हैं आँखें मगर,
वो मिलता है किसी और से, कैसा #नसीब है !
सोचा था कि आएगा हमसे ज़रूर मिलने,
आया था पर नहीं मिला, कितना अजीब है !
एक भूल कर बैठे कि गैर को अपना समझा,
पर गिर गया इतना वो नीचे, कैसा ज़मीर है !
दिल के नोंचने से भला क्या मिलेगा ?
बस सोच लो इतना कि, उसका बदनसीब है !

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