कभी तो बहार आएगी, कभी नूरे चमन बदलेगा ,
ख़ुदा पे है यकीं इतना कि, कभी तो करम बदलेगा !
आएगा कभी होठों पे किलकारियों का मौसम भी,
यारो कभी तो ज़र्द चेहरे का, कुछ तो रंग बदलेगा !
हम आज तो बदनाम हैं पहचानता हमें कोई नहीं,
कभी तो दिल से लोगों के, वो पुराना भरम बदलेगा !
कुछ भी न बदला अब तक सब कुछ तो है वैसा ही,
जीता रहा इस आस में कि, कभी तो वतन बदलेगा !!!