एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ?
#मोती हूँ तो #दामन में पिरो लो मुझे अपने,
#आँसू हूँ तो #पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ?
साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या ,
#पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ?
#वक़्त बदलता है #हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर #जज़्बात बदल जाते हैं
ये कुछ नही बस #वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो,
कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं...... (y)