मुस्कान तो देखी मगर, दिल का बबंडर नहीं देखा
चेहरे की चमक देखी, पर मन के अंदर नहीं देखा
खुशियों के नज़ारे देखते रहे ज़िंदगी भर,
पर कभी दर्द से मरने वालों का, मंज़र नहीं देखा
शीशे के महल तो बनवा लिये शौक से,
पर कब टकरा कर तोड़ दे, वो पत्थर नहीं देखा
अपनों से बिछड़ने का दर्द वो क्या जानेँ,
जिसने ज़िंदगी में अपनों से, मिल कर नहीं देखा
वाह! औरों में ढूढता फिरता हैं कमियां वो,
जिसने अपना गिरेवां, कभी झाँक कर नहीं देखा...

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