जो अपनों का न हुआ, वो भला गैरों का क्या होगा,
जो जमीं का न हुआ, वो आसमानों का क्या होगा !
उसे ज़िन्दगी भर न रास आई ख़ुदा की ख़ुदाई भी,
जो भला ख़ुदा का न हुआ, वो बन्दों का क्या होगा !
शरीर में उसके दिल की जगह पत्थर रखा है यारो,
जो भला ज़िन्दों का न हुआ, वो मुर्दों का क्या होगा !
वो कैसा है आदमी कैसी है फितरतें उसकी,
जो मोहब्बतों का न हुआ, वो नफ़रतों का क्या होगा !