हमारे तो ग़मों का, हर सबब भी वो हैं
हमारी मोहब्बत का, मज़हब भी वो हैं
कितने ही ज़ख्म देलें कोई गिला नहीं,
क्योंकि मेरे तो जीने का, सबब भी वो हैं
दर्द देते हैं तो दें ये तो हैं उनकी मर्ज़ी,
यारो हमारे हर दर्द की, मरहम भी वो हैं
कैसे छोड़ दूँ ज़रा तुम्हीं बता दो,
मेरे जीवन के सुरों की, सरगम भी वो हैं <3
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