देखा किया जो मैंने, हर आँख में नमी थी,
मगर मेरी आँख तो, कहीं और ही जमी थी !
हर कोई नज़र आ रहा था मेरे ज़नाज़े में,
मगर जो दिल के पास था, उसकी कमी थी !
ऐसे वक़्त में तो दुश्मन भी पिघल जाता है,
आखिर मेरे नसीब में ही, कौन सी कमी थी !
शायद न पिघल पायी कोशिशों के बाद भी,
जो बर्फ अदावत की, उसके सीने में जमी थी !
न थी तमन्ना कि दिल दुखाऊँ किसी का मैं,
मगर #ज़िन्दगी में मेरी तो, बस रस्सा कशी थी !