इक वो बदनसीब, जिसका कोई चाहने वाला नहीं,
इक वो दीवाना, जिसका कोई दीवाना नहीं
है एक परवाना, जिसका कोई ठिकाना नहीं,
करते हो क्यूँ जीना उसका दुश्वर यारों,
जब तुमने उसे कभी जाना ही नही
कुछ माहिर है वो सितम सहने में ,
यूँ किसी के #नखरे उठाने वाला नही
नही पता क्या सोचकर देते है दर्द
इन्सान है यारो कोई खुदा रहमत वाला नहीं
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