लोगों ने भी #मोहब्बत का #मज़ाक बना दिया,
किसी ने #गुड़ को चीनी तो #चीनी का बताशा बना दिया...
छुपा दी असलियत उसकी #लोगों ने ना जाने क्यूँ,
उन्होंने तो #दिल को खेलने का #खिलौना बना दिया...
लगाए है #मुखौटे ऐसे #लोगों ने कि,
पहचान ना सके कोई तो #मुखौटा भी #मनमोहक बना दिया...
निभाएँ है #रिश्तें कुछ इस कदर कि,
अपनों को #गैर और ग़ैरों को #अपना बना दिया...
#मतलब की दुनिया में #पैसे की #कद्र होती है,
जिन्दा #इन्सान को यहाँ लोगों ने #लाश बना दिया...