किसी के हुस्न का जल्वा, कब तक चलेगा क्या पता
जब ढल जायेगा यौवन, तब क्या बचेगा क्या पता
बस खुशबू रहेगी फूल की ज़ेहन में दोस्तो,
उसका रंग ओ जमाल, कब तक बचेगा क्या पता
सूरत पे मरने वालो ज़रा सीरत को जानिये ,
यूं चार दिन की चाँदनी में, क्या मिलेगा क्या पता...

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