हम जला के दिये खुद अंधेरों में चल दिये
किसी की यादों के उजाले ले कर चल दिये
न राहों की फिक्र हमको न मंज़िल का पता
फिर भी अंधेरों में रोशनी तलाशने चल दिये
लोग बिछाते रहे कांटे हमारी राहों में मगर
हम मुश्किलों को किनारे लगा कर चल दिये
मोहब्बत का दुश्मन है ये जमाना
उसके दिये ज़ख्म दिल से लगा कर चल दिये

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