अपने बदनसीब का, हम इज़हार किस पे करें
कोई नहीं अपना सा, दिल बेक़रार किस पे करें
धोखा ही धोखा है जमाने में दोस्तो,
इस भरी दुनिया में, हम ऐतबार किस पे करें...
अपने बदनसीब का, हम इज़हार किस पे करें
कोई नहीं अपना सा, दिल बेक़रार किस पे करें
धोखा ही धोखा है जमाने में दोस्तो,
इस भरी दुनिया में, हम ऐतबार किस पे करें...