जीने से तो यहाँ बेहतर है कि, बस मर जाएँ
मिलते हैं ग़मों से बुझे चहरे, हम जिधर जाएँ
प्यार का इक कोना न मिलता अब कहीं,
मिलती है हर तरफ नफ़रत, हम किधर जाएँ
न रही बात अब गुलशन की रंगीनियों में,
मिलते हैं खार ही खार, भँवरे अब किधर जाएँ
ज़माने की चोट से हर कोई घायल है
न मिलता है एक पल ख़ुशी का, हम जिधर जाएँ

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