एक लम्हां नहीं जिस लम्हां तुम्हारी #याद नहीं
वो सुबह नहीं वो शाम नहीं जब तुम्हारी बात नहीं
तुम्हारी यादों को हमसे जुदा कर दे,
इतनी तो उस बेरहम #मौत की भी औकात नहीं

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