ज़िंदगी तेरे हर कदम पे रोना आया
तेरे सफर की हर डगर पे रोना आया
कैसे जिया हूँ अब तक ये खुदा जाने,
आज उसके भी करम पे रोना आया
कभी मुकद्दर तो कभी वक़्त से गिला,
मुझे तो तेरे हर भरम पे रोना आया
नचाया है खूब अपने इशारों पे मुझे,
मुझे तो मेरी बदनसीबी पे रोना आया
कहते हैं कि ज़िंदगी हसीन होती है,
पर मुझे तो तेरे हुस्न पे रोना आया
इसके चंगुल में ऐसा फंसा हूँ दोस्त,
कि मुझे तो अपने जीने पे रोना आया...