देखे बड़े करीब से, बिगड़ते रिश्ते
कदम दर कदम पे, बदलते रिश्ते

यूं ही फंस कर कपट के जालों में,
एक एक निवाले को, तरसते रिश्ते

बहुत मुश्किल है न समेंट पाओगे,
अपनों की घातों से, बिखरते रिश्ते

कोंन लेता है खबर किसी की अब,
दिखते हैं अभागे से, सिसकते रिश्ते

हाबी है झुर्रियों पे चेहरों की चमक,
दिखते हैं अनाथों से, बिलखते रिश्ते

मर चुकीं तमन्नाएँ माँ बाप की यारो,
हमने देखे हैं दरबदर, भटकते रिश्ते

कितनी कहूँ दास्ताँ रिश्तों की ‘मिश्र’
मिलते हैं हर गली में, तड़पते रिश्ते

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