गुज़र गया जो वक़्त, उसे फिर मुड़ते नहीं देखा
टूट गए जो #प्यार के रिश्ते, फिर जुड़ते नहीं देखा
फूलों को घेरे काँटों से तितली को कोई गिला नहीं,
पर उसको सूखे फूलों पर, कभी उडते नहीं देखा
गैरों ने जो घाव दिए शायद मिट जाएँ इक दिन,
पर अपनों ने जो ज़ख्म दिए, कभी भरते नहीं देखा
लोगों ने कितना वैभव पाया है इस दुनिया से,
पर ज्यादा पाने की तृष्णा को, कभी मरते नहीं देखा...
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