न करनी है तुम्हें मदद, तो खुलेआम मत करिये,
मगर किसी की इज़्ज़त का, क़त्लेआम मत करिये !
ये दौलतें ये शौहरतें कभी साथ नहीं जातीं दोस्त,
इस बेकार की चीज पर, इतना गुमान मत करिये !
आता है तुम्हारे दर पे कोई तुम्हें अपना समझ कर,
यारो उसको ज़लील करने का, इंतज़ाम मत करिये !
ख़ुदा भी न कर सका कुछ भी मदद के बिना,
तुम तो बन्दे हो उसके, ज्यादा अभिमान मत करिये !!!