हमने अब गमों को, अपना मुकद्दर बना लिया
अपनी आँखों को अश्कों का समंदर बना लिया
इतना तडप कर रोया ज़िन्दगी भर ये दिल,
कि उसने खुद को अब, बेजान पत्थर बना लिया...
हमने अब गमों को, अपना मुकद्दर बना लिया
अपनी आँखों को अश्कों का समंदर बना लिया
इतना तडप कर रोया ज़िन्दगी भर ये दिल,
कि उसने खुद को अब, बेजान पत्थर बना लिया...